बॉलीवुड इंडस्ट्री में वैसे तो कई फिल्में बनती हैं, लेकिन निर्देशक शिवम नायर अपने चाहने वालों के लिए इस बार बिल्कुल नया सब्जेक्ट लेकर आए हैं। उन्होंने अपने दमदार निर्देशन से फिल्म में काफी कुछ देने की कोशिश की है। शिवम ने इस फिल्म में थ्रिलर के साथ एक्शन का भी गजब का तड़का लगाया है। उन्होंने इस फिल्म से दर्शकों को एक तरह के मैसेज देने का भरसक प्रयास किया है।
कहानी :
जनार्दन अरोड़ा, जॉनी (कुणाल खेमू) की मां अपने बेटे की सलामती के लिए एक आचार्य जी के पास जाती हैं। ताकि बैंकॉक में रह रहे जॉनी पर आने वाली समस्याओं का प्रकोप न रहे। वहीं दूसरी तरफ जॉनी बैंकॉक में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहा होता है। वह अंजाने में अपनी कंपनी की कुछ डिटेल्स बाहरी लोगों से शेयर कर बैठता है। यही बात जॉनी की फीमेल बॉस (मनदना करीमी) को पता चल जाती है। इस पर वह जॉनी को ब्लैकमेल करते हुए उसे 10 साल की सजा का रास्ता बताती है और दूसरा रास्ता होता है पटाया के एक ग्रैंड रिसोर्ट में जाकर तीन दिन की छुट्टी बिताने का। फिर जॉनी पटाया जाने का फैसला करता है। बता दें कि जिस रिसोर्ट रूम नं. 401 में जॉनी ठहरा होता है, ठीक उसी के पड़ोस में रूम नं. 405 में तानिया (जोआ मोरानी) भी रुकी होती है। अब जॉनी के पास उसके बॉस का फोन आता है कि वह तानिया को जान से मार दे, वर्ना उसे 10 साल की सजा हो जाएगी। अब जनार्दन अरोड़ा काफी सोच में पड़ जाता है। इसी दौरान विक्रम भट्ट की एंट्री एक जिन्न के रूप में होती है। अब जिन्न उसे दो जिंदगियां जीने का मौका देता है। तो जॉनी एक तरफ तानिया को मौत के घाट उतार देता है और दूसरी ओर वही तानिया को दुश्मनों से बचाता हुआ घूमता है। इसी के साथ तरह-तरह के मोड़ लेते हुए कहानी आगे बढ़ती है।
अभिनय :
कुणाल खेमू ने अभिनय के तह जाने की पूरी कोशिश की है, लेकिन वे अपने पुराने लुक से बाहर नहीं निकल सके। यानी इसमें कोई दो राय नहीं है कि कुणाल ने अभिनय में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी,पर अगर वे चाहते तो फिल्म में कुछ और भी बेहतर किया जा सकता था। जोआ मोरानी तो हर जगह कुणाल का साथ देती नजर आईं, लेकिन कहीं-कहीं पर वे कहानी के बाहर जाती नजर आईं। मनदना करीमी ने बॉस के रोल को बखूबी निभाया है। एली अवराम ने एक बार फिर साबित कर दिखाया कि इंडस्ट्री में जमे रहने के लिए आपमें अभिनय की समझ बहुत जरूरी है। एली के अभिनय को ऑडियंस ने काफी सराहा है। साथ ही उर्वशी राउतेला ने भी गजब काम किया है और इसके अलावा विक्रम भट्ट तो कुछ देर की फुटेज में ही बाजी मारते दिखाई दिए।
निर्देशन :
शिवम नायर ने वाकई में बी-टाउन में कुछ नया कर दिखाने की दमदार कोशिश की है। उनका यह प्रयास काफी हद तक सफल भी रहा। उन्होंने इस फिल्म में एक्शन और थ्रिलर को जोरदार तड़का तो लगाया है, लेकिन ऑडियंस को उनके निर्देशन में कहीं-कहीं पर कुछ मिसिंग सा फील भी हुआ। खैर, एक्शन व थ्रिलर में शिवम ने वाकई में कुछ अलग प्रयास किया है, इसीलिए वे ऑडियंस की वाहवाही बटोरने में सफल दिखे। कहीं-कहीं पर भले ही इसकी स्क्रिप्ट थोड़ी लीक से डगमगाती नजर आई, लेकिन उन्होंने इससे ये तो प्रूव कर ही दिया कि वाकई में आज भी ऑडियंस को कुछ नई कहानी से आकर्षित किया जा सकता है। बता दें कि निर्देशन में कुछ और भी खास किया जा सकता था, जिसमें शिवम थोड़ा असफल रहे। बहरहाल, अगर टेक्नोलॉजी और कॉमर्शियल अंदाज को छोड़ दिया जाए तो इस फिल्म की सिनेमेटोग्राफी कुछ खास करने में असफल रही। संगीत (मिथुन, यो यो हनी सिंह, देवी श्री प्रसाद, अर्को, साजिद और वाजिद) तो ऑडियंस को भाता है, लेकिन गाने की तुलना में कहीं-कहीं पर थोड़ा कमजोर रहा।
क्यों देखें :
कुणाल खेमू के जबरदस्त एक्शन और थ्रिलर का मजा लेने के लिहाज से सिनेमा घरों का रुख किया जा सकता है, लेकिन फुल एंटरटेंमेंट के मकसद से आपको थोड़ा सोचना पड़ेगा। आगे मर्जी आपकी...!
बैनर : टी सीरीज सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लि.
निर्माता : विक्रम भट्ट और भूषण कुमार
निर्देशक : शिवम नायर
जोनर : थ्रिलर, एक्शन
गीतकार : देवी श्री प्रसाद, मम मानसी, अंकित तिवारी, यो यो हनी सिंह, सुनील कामत और राहुल वैद्य
संगीत : मिथुन, यो यो हनी सिंह, देवी श्री प्रसाद, अर्को, साजिद और वाजिद
सिनेमेटोग्राफी : प्रकाश कुट्टी
स्टारकास्ट : कुणाल खेमू, जोआ मोरानी, मनदना करीमी, विक्रम भट्ट, एली अवराम और उर्वशी राउतेला
रेटिंग : ** स्टार
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