देश भर में बहुचर्चित आदर्श बिल्डिंग की रिपोर्ट न्यायमूर्ति जेए पाटील की द्विसदस्यीय आयोग ने सरकार को पेश कर 12 अफसरों पर सेवा नियमों का उल्लंघन करने के मामले में कार्रवाई की सिफारिश की थी।
सरकार ने इस मामले में 21 महीने के पहले कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन ऐसे अफसरों पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगने पर एक सोशल एक्टिविस्ट को देने से भाजपा सरकार ने इंकार कर दिया और कार्रवाई हुई या नहीं इसकी जानकारी भी ठंडे बस्ते में है।
व्यक्तिगत जानकारी का हवाला
महाराष्ट्र सरकार से आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आदर्श आयोग से सिफारिस किए हुए आईएएस अफसरों पर की हुई कारवाई की जानकारी मांगी थी।
सामान्य प्रशासन के अवर सचिव सु.ह. उमराणीकर ने उक्त जानकारी कर्मचारी व सह कर्मचारी की होने से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(त्र) तथा सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 03.10.2012 को गिरीश देशपांडे बनाम केंद्रीय सूचना आयोग के संदर्भ में दिए हुए निर्णय का हवाला देकर उक्त जानकारी व्यक्तिगत बताई और जानकारी देने से इंकार कर दिया।
उप सचिव ने भी आदेश का बताया योग्य
अनिल गलगली ने इस आदेश के खिलाफ दायर की गई पहली अपील में उप सचिव पां.जो. जाधव ने भी जन सूचना अधिकारी का आदेश योग्य बताया। गलगली ने अपील में तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय पूरे देश में लागू करने का आदेश नहीं दिया है। सूचना आयोग में आने वाला हर एक मामला गिरीश देशपांडे जैसा नहीं हो सकता है। साथ ही सरकारी अफसर और कर्मचारी का सरकारी कर्तव्य और कामकाज व्यक्तिगत न होते हुए सरकारी कामकाज का हिस्सा होने का दावा अनिल गलगली ने किया है।
सरकार की वादा खिलाफी
आदर्श सहकारी गृह निर्माण संस्था में हुई गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए ( 8 जनवरी 2011 को ) गठित द्विसदस्यीय आयोग ने 13 अप्रैल 2012 को उसकी रिपोर्ट राज्य सरकार के पास सौंपी। पहले 17 अप्रैल 2013 और उसके बाद यह रिपोर्ट 20 दिसंबर 2013 को विधिमंडल के पटल पर रखी गई। विषय क्रमांक 10 के अंतर्गत आयोग ने बारह अफसरों पर सेवा वर्तणूक नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
सरकार ने इस 12 अफसरों के खिलाफ अखिल भारतीय सेवा (वर्तणूक) नियम तथा महाराष्ट्र नागरी सेवा (वर्तणूक) नियम के अलावा अन्य लागू होने वाले सेवा नियम के प्रावधान के अनुसार संबंधित सक्षम प्राधिकारी कार्रवाई करेगा, ऐसी कार्यवाही का ब्योरा विधिमंडल को दिया गया। आज 21 महीने के बाद भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की।
विदित हो कि जिस आदर्श मामले का राजनीतिक लाभ लेकर भाजपा ने सत्ता हासिल की उसी आदर्श आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के बजाय सेवानियमों का उल्लंघन करने वाले 12 दोषी अफसरों को एक तरह से बचाने का कार्य किया है।
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