मानव संसाधन मंत्रालय ने राष्ट्रपति को विश्व भारती के वाइस चांसलर सुशान्त दत्त गुप्त के खिलाफ एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें उन्हें कदाचार और कर्तव्य पालन में दोषी ठहराया गया है।
राष्ट्रपति यदि इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लेते हैं तो सुशान्त दत्त केन्द्रीय विश्वविद्यालय के ऐसे पहले वाइस चांसलर हो जाएंगे जिन्हें एनडीए सरकार की ओर से बर्खास्त किया जाएगा। सुशान्त दत्त को यूपीए सरकार द्वारा वर्ष 2011 में इस पद पर नियुक्त किया गया था।
उनके कार्यकाल में अभी एक साल बाकी है। मंत्रालय ने अंतिम रिपोर्ट राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को सोमवार को सौंपी है। विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना रवीन्द्र नाथ टैगोर के द्वारा की गई थी।
राष्ट्रपति मुखर्जी जो सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के विजिटर भी हैं, यदि मंत्रालय द्वारा वाइस चांसलर पर लगाए गए अभियोग को स्वीकार कर लेते हैं तो वह जनरल क्लॉजेज एक्ट-1987 की धारा 16 के तहत वीसी के निष्कासन का आदेश दे सकते हैं।
जबकि केन्द्रीय विश्वविद्याय के किसी कानून में संस्थान के मुखिया की बर्खास्तगी के लिए कोई प्रावधान नहीं है। धारा 16 के तहत एप्वाइंटिंग अथारिटी को सेन्ट्रल अधिनियम या नियामक के तहत नियुक्त किए गए किसी व्यक्ति को 'निलंबित या बर्खास्तÓ करने का अधिकार है।
सूत्रों के अनुसार वीसी को 29 जून को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इस बारे में पूछे जाने के बारे में वीसी ने कहा कि मंत्रालय के नए कदम के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। जहां तक मेरा सवाल है तो मैंने अपना जवाब मंत्रालय को भेज दिया था। आरोप आधारहीन हैं।
उधर, मानव संसाधन मंत्रालय के प्रवक्ता घनश्याम गोयल ने इस बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। विश्व भारती उन चार केन्द्रीय विवि में से एक है जिनके वीसी मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के स्कैनर पर हैं।
इसी साल की शुरुआत में राष्ट्रपति ने दिल्ली विवि के वीसी दिनेश सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उनके जवाब की केन्द्र सरकार ने स्क्रूटनी की है। अंतिम निर्णय अभी नहीं लिया गया है। इसके अलावा पांडिचेरी विश्वविद्यालय और इग्नू के मुखिया के खिलाफ भी जांच चल रही है।
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