खरी नहीं उतरती ऑल इज वैल

उमेश शुक्ला की  फिल्म ओह माय गॉड में जिस तरह से धर्म के नाम पर लूट को दिखाया था उससे उम्मीद थी कि फिल्म ऑल इज वैल भी कुछ अच्छी होगी लेकिन ये उतनी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरती। हालांकि कहानी को अच्छी कहा जा सकता है लेकिन स्क्रिप्ट, डायरेक्शन के मामले में फिल्म थोड़ी हल्की दिखाई पड़ती है।
all is well4
फिल्म फैमिली एंटरटेनर न होकर, सिर्फ फैमिली ड्रामा बनकर रह गई है। कहानी में इंदर (अभिषेक बच्चन) की अपने पिता बेकरी ओनर मिस्टर भल्ला (ऋषि कपूर) से बिलकुल नहीं बनती है। हर बेटे के लिए उसका पिता हीरो होता है, जिससे वह अपनी कोई भी प्रॉब्लम शेयर कर सकता है। लेकिन इंदर को लगता है कि उसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम ही पिता हैं।
all is well3
 दोनों एक-दूसरे से बदतमीजी से पेश आते हैं। उनमें जमकर तू-तू मैं-मैं होती रहती है। यहां तक कि उन दोनों की लड़ाई से परेशान होकर फिल्म का एक किरदार कहता है, "तुम बाप-बेटे हो या बागड़ बिल्ले, सारे दिन लड़ते रहते हो।"
all is well2
इतना ही नहीं, इंदर में इतनी नेगेटिविटी भर चुकी है कि वह अपनी लाइफ को पैरेंट्स की लाइफ से जोड़कर देखता है। इसी वजह से वह अपनी गर्लफ्रैंड निम्मी (असिन) से शादी नहीं करना चाहता। मूवी में पिता-पुत्र के रिश्ते की गहराई को खंगालने की नाकाम कोशिश है।
स्टार कास्ट : ऋषि कपूर, अभिषेक बच्चन, असिन, सुप्रिया पाठक, मोहम्मद जीशान अयूब खान
राइटर-डायरेक्टर : उमेश शुक्ला

म्यूजिक : हिमेश रेशमिया, अमाल मलिक, मीत ब्रदर्स अंजान, मिथुन
Share on Google Plus

About Unknown

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment