बी-टाउन के नवोदित निर्देशक करण अंशुमान ने अपनी पहली फिल्म से दर्शकों को लुभाने की पुरजारे कोशिश की है। उन्होंने फिल्म में कॉमेडी का गजब तड़का तो लगाया ही और साथ ही ऑडियंस को अपनी इस कहानी से सीख भी दे गए, यानी उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि कॉमेडी ओरिएंटेड फिल्मों से भी ऑडियंस के जहन में कमाल-धमाल मचाया जा सकता है। इसके अलावा वे ऑडियंस के जहन में एक सामाजिक सीख भी छोडऩे में कामयाब रहे।
कहानी: इस फिल्म की कहानी दो मजहबों यानी बंगिस्तान के दो छोरों से शुरू होती है। उत्तर और पश्चिम बंगिस्तान पर आधारित इस फिल्म में दो धर्म मुस्लिम और हिंदू को दर्शाया गया है।
हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले प्रवीण चतुर्वेदी (पुलकित सम्राट) धर्म के कुछ ठेकेदारों के गफलत में पड़कर मुस्लिम बन जाते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ ईश्वर चंद्र शर्मा (रितेश देशमुख) मुस्लिम से हिंदू बन बैठते हैं।
ताकि वे दोनों अपने कुछ धर्म के ठेकेदारों के मंसूबों को पूरा कर सकें। जबकि हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म गुरु- 'मजहब नहीं सिखाता... आपस में बैर रखना' जैसी धारणा पर काम करते हैं। अब प्रवीण और ईश्वर दोनों अपने-अपने धर्म के ठेकेदारों की बात में आकर एक-दूसरे को खत्म करने में लग जाते हैं।
लेकिन पोलैंड में जाकर ईश्वर और प्रवीण को एक ही जगह पर ऊपर व नीचे रहने लगते हैं, जहां पर प्रवीण की ऊपर दीवार की बड़ा सा होल होता है। उसी होल से दोनों आपस में अपने-अपने इरादे शेयर कर बैठते हैं।
दोनों एक-दूसरे को निस्त-ए-नाबूत करने की फिराक में बम बनाने की तैयारी में जुट जाते हैं, इसी दरम्यान पुलिस भी दस्तक दे देती है। इसी के साथ कहानी तरह-तरह के मोड़ लेते हुए आगे बढ़ती है और फिल्म में गजब का ट्विस्ट आता है।
अभिनय: जहां रितेश देशमुख अपने अभिनय से ऑडियंस का दिल जीतते दिखाई दिए, वहीं पुलकित सम्राट भी दर्शकों की वाह-वाही जीतने में सफल रहे। साथ ही चंदन रॉय ने भी अभिनय में कोई कोर-कसर नहीं बाकी रखी।
आकाश पांडेय, आर्य बब्बर, कुमुद मिश्रा अपने-अपने रोल्स में बेहतरीन दिखे, वहीं आकाश दभाडे और शिव सुब्रमण्यम भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहे। इसके अलावा जैक्लीन फर्नांडीस तो अपनी कुछ देर की फुटेज में ही बाजी मारती हुई नजर आईं।
निर्देशन: जैसाकि सभी जानते हैं कि कॉमेडी ओरिएंटेड फिल्मों के निर्देशन में छोटी से छोटी बातों का ध्यान रखा जाता है, लेकिन इस फिल्म के निर्देशन में कहीं-कहीं पर कुछ मिसिंग सा फील हो रहा है। खैर, करण अंशुमान इसमें कॉमेडी का जबरदस्त तड़का लगाने में काफी हद तक सफल दिखाई दिए। कॉमेडी में करण ने वाकई में कुछ अलग करने की दमदार कोशिश की है, इसीलिए वे ऑडियंस की वाह-वाही बटोरने में सफल दिखे।
एक-आदी जगह पर भले ही इसकी स्क्रिप्ट थोड़ी डगमगाती नजर आई, लेकिन उन्होंने इससे ये तो प्रूव कर ही दिया कि वाकई में आज भी ऑडियंस को कॉमेडी फिल्में से रिझाया जा सकता है।
बहरहाल, 'खड़ा ही नहीं होता है... और तू एक्टर बुरा निकला... जैसे कई डायलॉग्स कालिब-ए-तारीफ रहे, लेकिन अगर टेक्नोलॉजी को छोड़ दिया जाए तो इस फिल्म की कोरियाग्राफी कुछ खास करने में असफल रही। संगीत (राम संपत) तो ऑडियंस को भाता भी है, पर गाने की तुलना में थोड़ा कमजोर सा नजर आया।
क्यों देखें: धमाकेदार कॉमेडी और रितेश व पुलकित की गजब जुगलबंदी देखने के लिए सिनेमा घरों का रुख किया जा सकता है। साथ ही एंटरटेंमेंट के लिए आपको जेब हल्की करने में भी निराश नहीं होना पड़ेगा...!
बैनर: एक्सेल एंटरटेंमेंट, जंगली पिक्चर्स
निर्माता: फरहान अख्तर, रितेश सिंधवानी
निर्देशक : करण अंशुमान
जोनर: कॉमेडी
गीतकार: सोना महापात्र, अभिषेक नैलवाल, शादाब फरीदी, राम संपत, अदिति सिंह शर्मा, बेनी दयाल, नीरज श्रीधर, जानुज क्रुसिनसकी, रितुराज मोहंती, सिद्धार्थ बसरूर, सूरज जगन
संगीत: राम संपत
कोरियोग्राफर : राजीव सुरती
स्टारकास्ट: रितेश देशमुख, पुलकित सम्राट, चंदन रॉय सानयाल, आकाश पांडेय, आर्य बब्बर, कुमुद मिश्रा, आकाश दभाडे, शिव सुब्रमण्यम और जैक्वेलीन फर्नांडीस (केमियो)।
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