'अष्टलक्ष्मी' के विकास से भारत की प्रगति संभव: मोदी

बंगलादेश के साथ सीमा भूमि समझौते और नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल आफ नागालैंड(इसाक मुईवा) के साथ शांति समझौते को ऐतिहासिक और मील का पत्थर करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इनसें पूर्वोत्तर की 'अष्टलक्ष्मी' का शेष राष्ट्र के साथ बेहतर जुड़ाव होगा तथा विकास प्रक्रिया तेज होगी।
मोदी ने यहां स्वतंत्रता सेनानी रानी गाइदिन्ल्यू की जन्म शताब्दी समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि रानी गाइदिन्ल्यू नागा समाज की विशिष्ट परंपराओं और रीति रिवाजों का इस्तेमाल भारत के विकास में करना चाहती थी और केंद्र की मौजूदा सरकार ने उनके इस सपने को पूरा करने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं।
उन्होंने पूर्वोत्तर के आठों राज्यों को नया नाम 'अष्टलक्ष्मी' देते हुए कहा कि सरकार ने हाल में दो ऐसे महत्वपूर्ण समझौते किए हैं जो 'अष्टलक्ष्मी' के विकास में मील का पत्थर साबित होगें।
बंगलादेश के साथ सीमा भूमि आदान प्रदान समझौते से पूर्वोत्तर और शेष भारत के बीच भौगोलिक दूरी घटेगी और आपसी संपर्क बढ़ेगा।
इसी तरह से नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ नागालैंड(इसाक मुईवा) के साथ किए शांति समझौते से क्षेत्र में संभावना आएगी और विकास कार्य तेजी से होंगे। नागा समाज को उसका उचित मान सम्मान मिलेगा।
उन्होंने अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि आजादी के बाद भी पूर्वोत्तर के महापुरूषों को उचित मान नहीं मिला जिससे क्षेत्र अतिवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की भावना को बल मिला है।
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क्षेत्र में रानी गाइदिन्ल्यू के अलावा भी कई अन्य महान लोग हैं जिनका मान सम्मान किया जाना चाहिए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने रानी गाइदिन्ल्यू के सम्मान में पांच रूपए का सामान्य सिक्का और 100 रूपए का स्मारक सिक्का भी जारी किया।
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