नई दिल्ली विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक के संसद के आगामी मानसून सत्र में पारित होने की संभावनाएं क्षीण होती जा रही हैं क्योंकि इस पर विचार करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति अब इस पर अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए तीन अगस्त तक का समय चाहती है।
भाजपा सांसद एस एस अहलूवालिया की अध्यक्षता में गठित इस समिति को अपनी रिपोर्ट मानसून सत्र के पहले दिन संसद में पेश करनी थी लेकिन गुरुवार को हुई समिति की बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार सहित कई सदस्यों ने काफी मुखर होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली की कड़ी आलोचना करते हुए इस विधेयक पर सरकार के रवैये को संसद और समिति की अवमानना करार दिया।
सूत्रों के अनुसार बैठक में यह आम राय बनी कि यह रिपोर्ट 27 जुलाई को भी पेश करना संभव नहीं है इसलिए अहलूवालिया इसके लिए एक सप्ताह का समय मांगें। समिति की समय बढ़ाने की सिफारिश यदि मान ली जाती है तो यह रिपोर्ट तीन अगस्त को लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को सौंपी जाएगी।
यदि ऐसा होता है तो सरकार के लिए 13 अगस्त को समाप्त हो रहे इस सत्र तक इस विधेयक को राज्यसभा से पारित करना कठिन हो सकता है। उन्होंने कहा कि समिति को विधेयक पर 672 ज्ञापन मिले हैं जिनमें से 670 इसमें संशोधन के खिलाफ हैं।
विधेयक में 52 संशोधन किए गए हैं जिनमें से समिति ने 50 का विरोध किया है। उनका कहना था कि सत्ताधारी पार्टी के भी 84 सांसद भी मन से इस अध्यादेश के खिलाफ हैं हालांकि वे मजबूरी में सरकार के पक्ष में ही वोङ्क्षटग करेंगे।
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