गुजरात दंगे: सजा सुनाने वाली जज का आरोप- जान का खतरा, सरकार नहीं बढ़ा रही सुरक्षा

रिटायर्ड जज ज्योत्सना याग्निक ने कहा है कि उनकी जान को खतरा है। इस वजह से उन्होंने राज्य सरकार से अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। ज्योत्सना वही जज हैं, जिन्होंने फरवरी 2002 में हुए नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में 32 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा पाने वाले लोगों में पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंग दल लीडर बाबू बजरंगी थे। उन पर 97 लोगों की हत्या का आरोप साबित हुआ था। मरने वालों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे।
छह महीने में कोई एक्शन नहीं 
चिट्ठियों और फोन के जरिए लगातार धमकी मिलते रहने के बाद ज्योत्सना ने सरकार से अपनी सुरक्षा 'वाई' कैटेगरी से बढ़ाकर 'जेड' करने की मांग की थी। ज्योत्सना के मुताबिक, छह महीने बीते जाने के बावजूद उनकी मांग पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। उन्होंने कहा, ''जब वे (आरोपी) हाईकोर्ट के जज तक पहुंच सकते हैं, तो सोचिए कि एक ट्रायल कोर्ट के जज पर सजा सुनाते वक्त कितना प्रेशर होता होगा।'' गौरतलब है कि हाल ही में हाईकोर्ट के तीन जजों ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। दो जज ने शिकायत दर्ज कराई कि आरोपियों ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की।
सरकार ने नहीं लिया फैसला 
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य इंटेलिजेंस ब्यूरो ने ज्योत्सना की सुरक्षा के मामले से जुड़ी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है और अब आगे उन्हें ही फैसला लेना है।
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