पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) को लेकर एक विवादित बयान दिया है। स्वामी ने कहा जेएनयू का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा जाना चाहिए। उन्होंने नाम बदलने के लिए प्रस्ताव भी दिया। तर्क देते हुए सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा है कि ऐसा इसलिए होना चाहिए क्योंकि नेताजी पढ़े-लिखे आदमी थे, पर नेहरू थर्ड क्लास पास थे। JNU का नाम बदलने के साथ ही उन्होंने यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और टीचर्स को नक्सली और जेहादी करार दिया।
जेएनयू में नक्सली, जेहादी और LTTE वाले
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने शनिवार को दिए अपने बयान में जेएनयू के स्टूडेंट्स और टीचर्स को नक्सली करार दिया। उन्होंने कहा कि जेएनयू में नक्सली, जेहादी और LTTE वाले रहते हैं। स्वामी के मुताबिक वो जेएनयू में एंटी नारकोटिक्स विंग बनाने, बीएसएफ की तैनाती और नेहरू की बजाय बोस का नाम जोड़ना चाहते हैं।
JN का वीसी बनाए जाने के लिए रखी शर्तें
स्वामी ने जेएनयू का वीसी बनाए जाने के लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं। बता दें कि जेएनयू के वाइस चांसलर की नियुक्ति को लेकर सुब्रह्मण्यम स्वामी का नाम चर्चा में आया था। जिसके बाद से लगातार विवाद जारी है। कहा जा रहा है कि सरकार उन्हें जेएनयू का वीसी बनाना चाहती है। खुद स्वामी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें जेएनयू के वीसी पद का ऑफर दिया गया है।
सुब्रह्मण्यम स्वामी सिर्फ एक पॉलिटिकल जोकर
कांग्रेस ने सुब्रह्मण्यम स्वामी के बयान पर तीखा पलटवार किया है। जेएनयू का नाम बदलने को लेकर बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के बयान पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, 'वो पहले तेज नेता थे, अब बस पॉलिटिकल जोकर बनकर रह गए हैं।'
सुब्रमण्यम स्वामी की नियुक्ति का विरोध
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति पद की पेशकश किए जाने की खबरों पर विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने स्वामी को ‘प्रतिगामी सोच वाला व्यक्ति’ बताते हुए इस तरह की किसी भी कोशिश का पूरी ताकत से विरोध करने की चेतावनी दी। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ ने गुरुवार को एक बयान में कहा, ‘स्वामी हों या अन्य कोई प्रतिगामी सोच वाला व्यक्ति हो, छात्र समुदाय पूरी ताकत से जेएनयू के भगवाकरण के किसी प्रयास का विरोध करेगा।’
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