सितम्बर 2013 में पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों की जांच कर रहे जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय उम्मीदवारों को दंगा भड़काने का दोषी माना है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस विष्णु सहाय कोदंगों की जांच के लिए अखिलेश सरकार ने आयोग का मुखिया बनाया गया था। 2013 इन दंगों में 60 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग 50,000 लोग बेघर हो गए थे।
सहाय आयोग ने 775 पेज की अपनी रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को लापरवाही और चूक का जिम्मेदार बताया। लापरवाही के कारण दंगे की स्थिति बनी और हिंसा हुई। आयोग ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक को रिपोर्ट सौंप दी है।
रिपोर्ट में क्या लिखा है, इसका ब्योरा सार्वजनिक तो नहीं किया गया है, पर सूत्रों के अनुसार आयोग ने समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को दंगे की आग भड़काने का दोषी माना है।
आयोग का मानना है कि दोनों दलों के नेताओं के कारण ना केवल मुजफ्फरनगर, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में हिंसा भड़क उठी थी।
आयोग ने जनता और राजनैतिक पार्टियों के 377 गवाहों का बयान दर्ज किए हैं। इसके 100 सरकारी अधिकारियों के भी बयान दर्ज किए गए हैं।
जस्टिस सहाय ने दंगोंं की जांच के सिलसिले में तत्कालीन डीजीपी देवराज नागर, मेरठ के आईजी और डीआईजी और जिला मजिस्ट्रेट के साथ-साथ सभी 5 दंगा पीडि़त जिलों के एसपी से भी पूछताछ की।
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