अच्छी पहल: तीन बेटों का ऐसा विवाह जो बन गया मिसाल

बेटे की शादी में दहेज लेने वाले तो आपने खूब देखे- सुने होंगे। लेकिन दहेज देने वालों को ठुकरा कर महज एक रुपया लेकर तीन बेटो को ब्याहने वाला पिता शायद नहीं सुना होगा।
गुहाला निवासी हरफूलसिंह मीणा ने समाज में एक ऐसा ही अनूठा और अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य  मीणा का जिनका बड़ा बेटा सुशील एसके अस्पताल में कंपाउंडर है। मझला बेटा महेन्द्र रेलवे कर्मचारी और छोटा बेटा राकेश पॉलिटेक्निक स्टूडेंट है।
तीनों ही बेटों की शादी मीणा ने सिर्फ शगुन का एक रुपया लेने की शर्त पर की है। खास बात ये भी है कि तीनों बहुएं शादी के एक जोड़े में लाई गई है। इसके अलावा कोई कपड़ा तक बेटों के ससुराल से नहीं लिया
गया है।    
अनाथ बेटियों का बने सहारा
हरफूल मीणा के दो बेटों की शादी पिछले महीने हुई है। दोनों के लिए यूं तो पहले काफी रिश्ते आए, लेकिन दहेज देने को सामाजिक प्रतिष्ठा का सवाल बताते हुए किसी ने कलश व नारियल में बेटियां देने की हां नहीं की। इस पर उन्होंने कोटपुतली के ऐसे परिवार में बेटों का रिश्ता तय किया जहां माता पिता की मौत के बाद दो बेटियां अपने नाना- नानी के पास रह रही थी। इसी तरह बड़े बेटे की शादी भी पांच बेटियों वाले परिवार में की। दहेज देने की जिद करने के बावजूद उनसे कुछ नहीं लिया गया।
यूं मिली प्रेरणा
हरफूल मीणा स्काउट मास्टर भी है। बचपन से स्काउट से जुड़े होने व दहेज विरोध कार्यक्रमों में शामिल होने के चलते उन्हें दहेज प्रथा से नफरत हो गई। फिर एक दिन दहेज के लालच में उनकी एक रिश्तेदार का पति से तलाक हो गया। छोटी उम्र में उसका जीवन बर्बाद होते देखा।
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