केंद्र सरकार भारतीय सशस्त्र सेना द्वारा लड़े गए सभी युद्धों और अभियानों को फिर से लिखाने के लिए बड़ी जोर-शोर से कवायद कर रही है। सरकार का उद्देश्य है कि लोग इतिहास को सरल और साधारण भाषा में समझ सकें और इसे 'रीडर फ्रेंडली' बनाया जा सके।
इस नव-लेखन में प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर 1999 के कारगिल अभियान तक में भारतीय सेना द्वारा किए गए शौर्य प्रदर्शन और साहस का विस्तृत लेखा-जोखा होगा। किताबों, टेली फिल्मों, कॉमिक्स के 2020-22 तक जारी किए जाने की अवधि तय की गई है।
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार इसका उद्देश्य भारतीय सशस्त्र सेना द्वारा आजादी के पहले के साथ ही आजादी के बाद किए गए अभियानों और संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत विदेशों में निभाई गई गौरवशाली भूमिका से छात्रों और भावी पीढ़ी को अवगत कराना है। सूत्रों के अनुसार सरकार 1965 के पाकिस्तान के साथ युद्ध विजय के 50वें साल पर 28 अगस्त से 26 सितंबर तक समारोहों का आयोजन कर रही है।
युद्ध इतिहास की नई पुस्तक एक सितंबर में जारी किए जाने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार बांग्लादेश मुक्ति के समय 93000 पाक सैनिकों के समर्पण के बारे में दिसंबर 2016 तक किताब प्रकाशन के लिए भेज दी जाएगी। इसके साथ ही 1962 के चीन से युद्ध में हार के बारे में हैंडरसन रिपोर्ट (माना जाता है कि इस रिपोर्ट में पं. नेहरू की खामियों का उल्लेख है) के कुछ अंशों का हवाला देते हुए इतिहास की पुस्तक 2020-22 तक जारी कर दी जाएगी।
इसी के साथ ही राजीव गांधी द्वारा श्रीलंका में भेजे गए शांति मिशन के इतिहास के बारे में पुस्तक 2017 में पाठकों के हाथ में आ जाने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में एक लाख भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।
0 comments:
Post a Comment