कमजोर अजय देवगन की औसत रीमेक है 'दृश्यम'

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फिल्म 'दृश्यम' का एक सीन
रेटिंगः 2.5 स्टार
डायरेक्टरः निशिकांत कामत
कलाकारः अजय देवगन, तब्बू, श्रिया सरण और रजत कपूर

बॉलीवुड के डायरेक्टरों को रीमेक बनाने का बहुत शौक है. याद रखिए सिर्फ शौक ही है. उन्हें लगता है जांचा-परखा फॉर्मूला आजमाकर वे वाह-वाही भी लूट लेंगे और जेबें भी गर्म कर लेंगे. इसी चक्कर में वे कई बार अच्छे-खासे गंभीर विषय का जायका बिगाड़ कर रख देते हैं. ऐसा ही कुछ फिल्म 'दृश्यम' के बारे में कह सकते हैं. 

ओरिजनल 'दृश्यम' 2013 में मलयालम में बनी थी और मोहनलाल इसके हीरो थे. साढ़े चार करोड़ रु. की यह फिल्म लगभग 60 करोड़ रु. की कमाई कर गई थी जबकि कमल हासन की 'पापनाशम' (तमिल) इसी साल 3 जुलाई को रिलीज हुई है और पसंद की गई है. हिंदी वाली 'दृश्यम' भी हूबहू है, एकदम पूरी नकल. लगभग पौने तीन घंटे की फिल्म पहले हिस्से में बहुत धीमी है और फिल्म का अंत भी काफी खिंचा हुआ लगता है. जिन्होंने इसके मलयालम वर्जन को देखा है, शायद वह इस वर्जन में वैसा मजा न पाएं. फिल्म देखकर लगता है कि डायरेक्टर ने अपना कुछ लगाने की जरा-सी भी जेहमत नहीं उठाई है.

कहानी में कितना दम
अजय देवगन गोवा के एक कस्बे में केबल ऑपरेटर हैं. वह अपनी पत्नी श्रिया सरण और दो बेटियों के साथ मस्ती से जीवन जी रहे हैं. ऐसा कुछ होता है कि गोवा की इंस्पेक्टर जनरल तब्बू के बेटे के साथ कुछ हादसा हो जाता है. इसके बाद दो पक्षों के बीच जंग शुरू होती है, एक जो अपने बेटे के बारे में सच्चाई जानना चाहता है तो दूसरा अपने परिवार को बचाने के लिए किसी भी हद तक गुजर जाने को तैयार है. कहीं-कहीं कहानी रोमांच पैदा करती है, लेकिनडायरेक्टर ने मलयालम वर्जन पर पूरा अमल किया है. मलयालम फिल्म 2 घंटे 44 मिनट की थी तो हिंदी 2 घंटे 43 मिनट की. अब बॉलीवुड की रीमेक भक्ति का अंदाजा लगा सकते हैं. उन्हें हिंदी ऑडियंस को ध्यान में रखने की जरूरत थी. प्लॉट को ठीक ढंग से उठाया गया है लेकिन ट्रीटमेंट में सारा कबाड़ा कर दिया है. डायलॉग बहुत ही ठंडे हैं और डिटेल्स कहीं-कहीं बोरिंग हो जाते हैं. 

स्टार अपील
फिल्म में अजय देवगन अपना टच खोए नजर आते हैं. वह कैरेक्टर में उस तरह से उतर नहीं पाते हैं जैसी उनसे अपेक्षा की जाती है, शायद कमजोर डायरेक्शन इसकी वजह हो सकती है. पूरी फिल्म में वे कटे-कटे से दिखते हैं. मोहनलाल वाला कनेक्ट उनमें दूर-दूर तक नहीं है. फिल्म में तब्बू ठीक-ठाक हैं. वे फिल्म में आती हैं तो थोड़ा मजा आने लगता है. उन्होंने इमोशंस का अच्छा उतार-चढ़ाव दिखाया है. बाकी सब सामान्य हैं.

कमाई की बात
2013 से अजय अभी तक 'सिंघम रिटर्न्स' के अलावा कोई और बड़ी हिट नहीं दे सके हैं. ऐसे में उन्हें एक हिट का इंतजार है. फिल्म का म्यूजिक विशाल भारद्वाज ने दिया है, और बहुत ही औसत किस्म का है. कमजोर डायरेक्शन एक और लूज पॉइंट है और एडिटिंग दूसरा. यह मिड बजट फिल्म है. इस तरह अजय की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई बहुत बड़ा करिश्मा करेगी इसकी उम्मीद कम ही है. वैसे अजय भी ऐसा मान चुके हैं.
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