उधमपुर: तीन तरह का कोर्स करके आया था आतंकी नावेद, किए कई खुलासे

पाकिस्तानी आतंकी उस्मान उर्फ नावेद को बुधवार को उधमपुर से पकड़ा गया था।
पाकिस्तानी आतंकी उस्मान उर्फ नावेद को बुधवार को उधमपुर से पकड़ा गया था।
श्रीनगर. आम लोगों की बहादुरी से पकड़ाए पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद नावेद उर्फ उस्मान से पूछताछ में कई नए खुलासे हुए हैं। उसने बताया है कि उसे और उसके साथी को फिदायीन ट्रेनिंग मिली थी। इसमें पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई ने भी दोनों की मदद की थी।
बता दें कि नावेद बुधवार को उधमपुर में बीएसएफ के काफिले पर हमला करने वालों में शामिल था। उसे दो गांववालों ने पकड़ा था। पाकिस्तान ने नावेद को अपना नागरिक मानने से इनकार कर दिया है। अभी एनआईए उससे पूछताछ कर रही है। नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल पूछताछ कर रहे अफसरों से लगातार अपडेट ले रहे हैं। उधर, एक अंग्रेजी अखबार ने दावा किया कि उसने नावेद के पिता से बातचीत की है। (क्या कहा नावेद के पिता ने, जानने के लिए यहां क्लिक करें)
आतंकी नावेद से पूछताछ में हुए 5 बड़े खुलासे?
- कौन-सा कोर्स किया?
नावेद ने पूछताछ में बताया कि उसे मिशन सौंपे जाने से पहले तीन तरह के ट्रेनिंग कोर्स कराए गए। 21 दिन का मजहबी कोर्स, 21 दिन का बेसिक कोर्स और तीन महीने का एडवांस्ड कॉम्बैट (जंग लड़ने का) कोर्स।
- कब भारत में घुसपैठ की?
नावेद ने बताया कि वह 27 मई को पाक अधिकृत कश्मीर से चला था। 2 जून को एलओसी के करीब पहुंचा। कश्मीर के तंगधार सेक्टर के जरिए भारत में दाखिल हुआ। हमले में मारे गए एक अन्य आतंकी नोमान को वह नहीं पहचानता था। दोनों अलग-अलग ग्रुप में भारत में दाखिल हुए थे। नोमान से उसकी मुलाकात बारामूला में हुई। भारत में वह कुछ दूसरे आतंकियों के साथ जीपीएस की मदद से घूम रहे थे।
- हथियार कहां से मिले?
नावेद और नोमान को कश्मीर में रहने के दौरान दोनों को हथियार मिले। इनमें एके-47 और हैंड ग्रेनेड शामिल थे। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि दोनों को ये हथियार किसने मुहैया कराए।
- नावेद के साथ बाकी आतंकी कौन थे?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नावेद के साथ दो अन्य आतंकियों की पहचान ओकाशा पख्तून और मोहम्मद भाई भी आए थे। दोनों पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा प्रांत के हैं। सभी आतंकी 7 जून को तंगमार्ग-बाबा ऋषि मार्ग पहुंचे। यहां उन्हें एक लोकल शख्स आशिक बट उर्फ ओबैदा ने रिसीव किया।
- कश्मीर में कैसे मिली लोकल मदद?
चारों आतंकी दो ग्रुप में बंट गए। लोकल मदद के जरिए अलग-अलग जगहों पर वक्त बिताया। नावेद ने उन लोकल कॉन्टैक्ट्स का पता बताया है। पुलिस इनकी धरपकड़ में लगी हुई है। नावेद ने यह भी बताया कि लश्कर के कई आतंकियों ने उससे जम्मू-कश्मीर में मुलाकात की और उन्हें पैसा और दूसरी मदद मुहैया कराई।
- किस ट्रक में सवार हुआ था नावेद?
कश्मीर में कई दिन बिताने के बाद 23 जुलाई को नोमान और नावेद के अलावा लश्कर के छह और आतंकी एक ट्रक में सवार हुए। ट्रक ड्राइवर ने उन्हें पुलवामा में उतारा। नावेद के मुताबिक, ट्रक को पुलिस ने पकड़ लिया, लेकिन वे भागने में कामयाब रहे। कासिम नाम के आतंकी ने नावेद और नोमान को फिदायीन हमले का ऑर्डर दिया और उनके पुलवामा ने उधमपुर आने के इंतजाम किए। दोनों एक ट्रक में सवार होकर जम्मू पहुंचे। ट्रक का नंबर पुलिस ने पता लगा लिया है। JK13/2586 नंबर वाले ट्रक को जब्त कर लिया गया है।
क्या कहना है जांच अधिकारियों का 
आतंकी किस रूट से पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में दाखिल हुए, इस बारे में अधिकारियों ने ठोस जानकारी नहीं दी है। बीएसएफ के आईजी राकेश शर्मा ने बताया, ''यह जांच का मामला है। जम्मू-कश्मीर पुलिस अब भी पूछताछ कर रही है। मैं इस बारे में कुछ नहीं बोल सकता।'' क्या यह हमला अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाने के लिए किया गया, इस सवाल के जवाब में भी आईजी ने यही कहा कि यह जांच का मामला है। यह पूछे जाने पर कि क्या आतंकियों के निशाने पर बीएसएफ थी, आईजी शर्मा ने कहा कि इस बात की आशंका है लेकिन फोर्स आतंकियों का पहला टार्गेट नहीं थी। उन्होंने कहा, ''आतंकी अपने टारगेट की ओर बढ़ रहे थे कि उन्हें बीएसएफ के जवान दिख गए सो उन्होंने उनको निशाना बनाया।''
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