बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश के नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब वह उनके साथ थे तब वे उन्हें पीएम मटेरियल (प्रधानमंत्री पद के योग्य) बताते थे लेकिन अब उनसे अलग हो गए हैं तो किसी काम के नहीं हैं।
कुमार ने यहां श्रीकृष्णापुरी स्थित चिल्ड्रेन पार्क में पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा की आदमकद प्रतिमा का शिलान्यास करते हुए भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा कि कल तक साथ थे तो हम पीएम मटेरियल थे, अब अलग हो गए हैं तो हम किसी के काम के नहीं हैं..।
उन्होंने कहा कि उनकी किसी बात पर उनका ध्यान नहीं है। उनकी पृष्ठभूमि उन्हें ज्ञात है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पृष्ठभूमि आजादी की लड़ाई है। उनके खून और दिलोदिमाग में आजादी की लड़ाई के मूल्य हैं, जो राष्ट्रनायकों ने स्थापित किऐ हैं, वे हमेशा मौजूद रहते हैं। वहीं भाजपा के लोगों कोई मूल्य नहीं है, उनके पुरखों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया था। आजादी की लड़ाई के मूल्य, सहिष्णुता, सद्भाव उनके स्वभाव में हीं नहीं है। इसलिए उन्होंने कभी भी भाजपा या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं के बयान पर ध्यान नहीं दिया।
कुमार ने कहा कि उनके डीएनए में खोट कहा गया है। उनके डीएनए में स्वतंत्रता संग्राम के मूल्य हैं, जो बिहार के लोगों का डीएनए है, वहीं उनका डीएनए है। उन्होंने कहा कि उनके डीएनए पर जब प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की थी तब पहले दिन हीं उन्होंने बयान दे दिया था लेकिन पिछले पांच-दस दिनों में बहुत लोगों ने उनसे इस बाबत अपनी बात रखी।
प्रधानमंत्री के बयान से बहुतों की भावनाएं आहत हुई है। इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिखने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पत्र में इतना हीं कहा है कि देश के सर्वोच्च पद की गरिमा के अनुरूप उनका वक्तव्य नहीं है। कृपापूर्वक अपने शब्द वापस ले लिजिए। माफी मांगने या खेद प्रकट नहीं करने को कहा है। उन्होंने कहा कि पद से हटकर कोई व्यक्ति बोलता तो वह उसे तवज्जो नहीं देते।
उनके पत्र की भाषा में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है जो उनके संस्कार के खिलाफ है। पत्र में संस्कार एवं विनम्रता को कायम रखा है। कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री के नाते दायित्व निभाते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री का स्वागत किया और मुजफ्फरपुर सभा का भाषण सुनने के बाद भी वह उन्हें विदा करने गए थे। उन्होंने कहा कि वह अपना संस्कार और मुख्यमंत्री का काम नहीं भूलते। जब तक वह हैं, बिना द्वेष और तल्खी के अपनी बात कहते रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने भोज पर आमंत्रित कर थाली छीनने के आरोपों के जवाब में अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा कि उनके पिताजी वैद्य होने के साथ ही स्वतंत्रता सेनानी और मां सामान्य गृहिणी थीं। उनके घर पर काफी लोगों का आना जाना होता था। यदि कोई कितना भी विलम्ब से क्यों न आए, उनके पिता बिना खाना खिलाए अतिथि को विदा नहीं करते थे, जबकि उस समय ग्रामीण परिवेश में बाजार, गैस चूल्हा आदि नहीं होते थे।
उन्होंने कहा कि उनके पिता की इच्छा रहती थी कि यदि कोई आए तो उनका सम्मान जरूर करें। वे उसी माता-पिता की संतान हैं। कुमार ने कहा कि जेपी, कर्पूरी ठाकुर और छोटे साहब (स्व. सत्येंद्र नारायण सिन्हा) का सानिध्य उन्हें मिला है। इन महान विभूतियों के चरणों में रहकर उन्होंने संस्कार और विनम्रता सीखी। उन्हें किसी ने द्वेष नहीं सिखाया,पर अन्याय के खिलाफ लडऩा जरूर सिखाया है। उन्होंने कहा कि उनके संस्कार में यही डीएनए है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सत्येन्द्र नारायण सिन्हा बिहार की राजनीति के स्तंभ और युवा पीढ़ी के प्रेरणास्रोत थे। उन्होंने हमेशा युवाओं को स्नेह एवं मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि छात्र आंदोलन एवं जयप्रकाश आंदोलन के समय से ही स्व. सत्येन्द्र बाबू का मार्गदर्शन और स्नेह उन्हें मिलता रहा, उसे वह भूल नहीं सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्व. सिन्हा की प्रतिमा की स्थापना पटना में करने का विचार काफी पहले से था। औपचारिकता पूरा करने में विलम्ब हुआ है।
इस अवसर पर नागालैण्ड एवं केरल के पूर्व राज्यपाल और स्व. सिन्हा के पुत्र निखिल कुमार ने कहा कि स्व. सिन्हा का परिवार पूरा बिहार है। उनकी प्रतिमा की स्थापना से उनके कार्यों और जीवनी की चर्चा होगी। स्व. सिन्हा की धर्मपत्नी किशोरी सिन्हा ने प्रतिमा स्थापना के लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया।
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