सबमरीन्स की दौड़ में भारत पीछे समुद्र में ताकतवर चीन

चीन की एक युआन श्रेणी की पनडुब्बी हाल में हिंद महासागर और अरब सागर से होते हुए पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर पहुंची थी और कुछ समय बिताने के बाद वह वापस चीन चली गई। इस घटना ने भारत और चीन की पनडुब्बी क्षमता को चर्चा में ला दिया है। समुद्र के भीतर युद्ध करने की चीन की क्षमता भारत से चार गुना अधिक है।
युआन श्रेणी की पनडुब्बी डीजल और बिजली से चलती है और कई सप्ताह तक पानी के भीतर रह सकती है, जबकि इसी प्रकार की भारतीय पनडुब्बी को कुछ ही दिनों में ऑक्सीजन लेने के लिए सतह पर आना पड़ता है।
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रूस से लेगा परमाणु हमला करने वाली पनडुब्बी!
भारत अब रूस से परमाणु हमला करने में सक्षम एक दूसरी पनडुब्बी किराए पर लेना चाहता है। इसके साथ ही सरकार ने विशाखापत्तनम में परमाणु हमला करने में सक्षम छह पनडुब्बी के निर्माण की 90 हजार करोड़ रुपये की एक योजना को मंजूरी दे दी है। नौसेना उप प्रमुख वाइस एडमिरल पी मुरुगेसन ने हालांकि गत सप्ताह कहा था, 'हमने काम शुरू कर दिया है, लेकिन यह अभी कागजी स्तर पर ही है।'
पाकिस्तान को पनडुब्बी बेचना चाहता है चीन
चीन के सामने खड़ा होने के लिए भारत जर्मनी, फ्रांस और रूस के सहयोग से पारंपरिक और परमाणु क्षमता वाली पनडुब्बी बनाना चाहता है। चीन हालांकि इस मामले में काफी आगे है और वह अपनी पनडुब्बी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचने की योजना पर काम कर रहा है। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, चीन युआन श्रेणी की आठ पनडुब्बी पाकिस्तान को बेचना चाह रहा है। चीन की एक पारंपरिक पनडुब्बी 2014 में दो बार कोलंबो पहुंची थी। श्रीलंका ने हालांकि भारतीय चिंता का शमन करते हुए कहा था कि वह भारतीय हित के विरुद्ध कुछ भी नहीं करेगा।
14 पनडुब्बी में सिर्फ एक परमाणु हमला करने में सक्षम
भारत के पास 14 पनडुब्बी हैं, जिसमें से एक आईएनएस चक्र परमाणु हमला करने में सक्षम है। चीन के पास 68 और पाकिस्तान के पास पांच पनडुब्बियां हैं। आईएनएस चक्र भारत ने रूस से 10 साल के लिए किराए पर लिया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पनडुब्बी शक्ति के मामले में भारत की स्थिति संकटपूर्ण है।
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चीन ने 2014 में 60 से अधिक नौसैनिक जहाजों और विमानों की तैनाती की
रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट (2014-15) के मुताबिक भारत की अधिकतर पनडुब्बियां पारंपरिक किस्म की हैं और 20 साल की अपनी जीवन यात्रा लगभग पूरी कर चुकी है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि गत 15 साल में भारतीय नौसेना ने दो पनडुब्बियां तैनात की हैं और पांच को सेवा से हटाया है। चीन ने दूसरी ओर 2014 में 60 से अधिक नौसैनिक जहाजों और विमानों को तैनात किया। इतनी ही तैनाती 2015 में भी होने की उम्मीद है।
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चीन और भारतीय नौसेना की क्षमता
भारतीय नौसेना के पास 141 जलयान हैं, जिसमें से 127 जहाज और 14 पनडुब्बियां हैं। चीन की नौसेना के पास 300 जलयान हैं, जिनमें जहाज, पनडुब्बियां, एंफीबियस शिप, प्रक्षेपास्त्र से लैस निगरानी विमान हैं।
चीन के पास अभी 59 पारंपरिक पनडुब्बियां और नौ परमाणु शक्तिचालित पनडुब्बियां हैं। इन नौ में से पांच परमाणु हमला करने में सक्षम हैं और चार बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र हमला करने में सक्षम हैं। परमाणु शक्ति युक्त पनडुब्बियां दो किस्मों की हैं। हमलावर (एसएसएन) और फ्लीट बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र पनडुब्बी (एसएसबीएन)।
भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी 1988 में रूस से किराए पर ली गई थी, जिसे 1991 में वापस कर दिया गया था।  नौसेना में अभी मौजूद आईएनएस चक्र को अमेरिका को छोड़कर शेष दुनिया में सबसे घातक पनडुब्बियों में शुमार किया जाता है। नौ अन्य सिंधुघोष श्रेणी की पनडुब्बियां हैं, जो रूस के सहयोग से निर्मित हैं। चार अन्य पनडुब्बियां जर्मनी के सहयोग से बनी शिशुमार श्रेणी की पनडुब्बियां हैं।
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ये है भारत की आगामी योजना
आने वाले वर्षों में भारत 15 पनडुब्बियों की तैनाती करना चाहता है। इनमें छह फ्रांस के सहयोग से बनी पारंपरिक पनडुब्बियां, छह अन्य परमाणु हमला करने में सक्षम होगी और तीन अन्य परमाणु बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र पनडुब्बियां होंगी। फ्रांस द्वारा डिजाइन की हुई स्कोर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी बनाने की परियोजना को परियोजना-75 नाम दिया गया है। इस परियोजना के तहत प्रथम आईएनएस कलवारी की तैनाती 2016 तक तथा पांच अन्य की तैनाती 2020 तक होगी।
पहली स्वदेश निर्मित परमाणु शक्ति चालित रणनीतिक पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को 2009 में लांच किया गया था। अभी इसका परीक्षण चल रहा है। एक अन्य स्वदेश निर्मित आईएनएस अरिधमन पनडुब्बी भी निर्माणाधीन है। तीसरे पर काम शुरू होने वाला है।
चीन की पनडुब्बी क्षमता से पार पाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 14 जुलाई 2015 को एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसके तहत अमेरिका से चार और पी-81 लांग रेंज एंटी सबमैराइन वारफेयर (एएसडब्ल्यू) मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट खरीदा जाएगा। ऐसे छह विमान भारत के पास पहले से हैं। भारत अमेरिकी कंपनी सिकोस्र्की एयरक्राफ्ट कारपोरेशन से एक समझौता करने की प्रक्रिया में है, जिसके तहत 16 एस-70बी एएसडब्ल्यू हेलीकॉप्टर खरीदे जाएंगे।
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