युवा भारत की प्रेरणा पुंज, महान वैज्ञानिक और बच्चों के बीच 'टीचर' के तौर पर विख्यात एपीजे अब्दुल कलाम ने हिंदुस्तान को स्पेस और मिसाइल तकनीकी में आत्मनिर्भर बनाकर वो मुकाम दी है, जिसे यादकर आज उनके अंतिम सफर पर हर भारतीय की आंखे नम हैं।
जीवनभर प्रगति के पथ पर अग्रसर कलाम 'चाचा' ने हमेशा गतिशील और विकसित भारत का सपना हर भारतीय के आंखों में सजाकर अपनी अंतिम यात्रा पर निकल गए।
कलाम सर का सरप्राइज असाइनमेंट
कलाम सर के साथ अंतिम क्षणों तक रहने वाले उनकी किताबों के सह-लेखक सृजन पाल ने बताया कि आईआईएम शिलांग में 27 जुलाई को लेक्चर देने के लिए जाते समय रास्ते में उन्होंने शिलांग के आईआईएम स्टूडेंट्स को सरप्राइज असाइनमेंट देने की योजना बनाई थी।
दरअसल कलाम सर हर साल संसद की कार्यवाही ठप होने से चिंतित थे। वे चाहते थे कि कुछ ऐसी तरकीब निकाली जाए, जिससे संसद विकास की राजनीति पर काम कर सके।
वे चाहते थे कि स्टूडेंट्स कुछ ऐसे आइडियाज बताएं कि संसद ठप न हो और उसकी कार्यवाही परिणाम देने वाली हो। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। उन्हें क्या पता था कि यह लेक्चर ही उनके जीवन का आखिरी लेक्चर होगा।
'आखिरी असाइनमेंट' पूरा कर पाएंगे हमारे नेता?
क्या कलाम सर का आखिरी असाइनमेंट राजनीतिक दलों के दिग्गज नेता एक साथ मिलकर हल कर पाएंगे? यह सवाल इसलिए भी आज उठ रहा है क्योंकि मनमोहन सिंह की सरकार हो या फिर नरेंद्र मोदी की, संसद हमेशा ठप होती रही है और आज भी हो रही है। हर साल देश की जनता का करोड़ रुपए हंगामे में बर्बाद हो जाता है।
दो बड़े दल भाजपा और कांग्रेस का दारोमदार फिलहाल क्रमश: पीएम मोदी और 'युवा' राहुल गांधी के कंधों पर है। क्या ये दोनों नेता मिलकर कलाम सर के आखिरी असाइनमेंट को हल करने का साहस दिखा सकते हैं? बड़े दलों के साथ-साथ छोटे दलों के सामने भी यह सबसे बड़ा असाइनमेंट है।
अगर राजनीतिक दल इस असाइनमेंट को सच्चे मन से पूरा कर दें तो यही कलाम सर के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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