पूर्व सेना प्रमुख और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले उनकी बनाई
इंटेलीजेंस यूनिट टेक्निकल सर्विसेज डिवीजन (टीएसडी) से संबंधित कागजात नष्ट कर दिए गए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह यूनिट काफी विवादास्पद रही थी।
इसका गठन वीके सिंह ने 2010 में किया था। हालांकि, वीके सिंह ने इसका खंडन किया है और कहा है कि इस दुष्प्रचार के पीछे हथियार लॉबी का भी हाथ हो सकता है। ये सारी मनगढंत बातें हैं, मैं इनके खिलाफ एक्शन लूंगा।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2012 में रिटायर होने से कुछ दिन पहले सेना की ओर से टीएसडी के कामकाज और फंडिंग से संबंधित दर्जनों दस्तावेजों को नष्ट कर दिया गया था।
वीके सिंह 31 मई 2012 को रिटायर हुए थे। इससे कुछ दिनों पहले 2012 में 22 से 25 मई के बीच पुणे सदर्न आर्मी कमांड ने टीएसडी से संबंधित कागजात नष्ट करने के लिए अधिकारियों के दो बोर्ड बनाए। इन्हें इन फाइलों को नष्ट करने का आदेश दिया गया था।
इसलिए नष्ट की फाइलें
रिपोर्ट के मुताबिक, नष्ट की गई फाइलों में टीएसडी के 2010 और 2011 के खर्च का विवरण दर्ज था। इसके अलावा एक फाइल में इस यूनिट के हर महीने के खर्च के बैंक स्टेटमेंट भी शामिल थे। एक फाइल में टीएसडी के हेड कर्नल बख्शी की टेंपररी ड्यूटी और क्लेम भी शामिल थे।
एक अलग फाइल में टीएसडी का ही हिस्सा रहे लेफ्टिनेंट कर्नल सर्वेश धडवाल के क्लेम शामिल थे। एक फाइल में संभवत: टीएसडी के अधिकारियों के विदेशी दौरों की जानकारी थी।
इस रिपोर्ट के जवाब में वीके सिंह ने कहा, लालच या दुष्प्रवृत्ति के तहत दुष्प्रचार किया गया था। मैं इस रिपोर्ट का खंडन करता हूं। इसके पीछे हथियार की लॉबी या घूस देने की कोशिश करने वाले या जोरहाट डकैती केस में शामिल लोग हो सकते हैं।
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