लोअर के निचले सिरे पर मिट्टी की परत चिपकी थी। चेहरे पर चमक थी। मुलाकात में सलमान ने फिल्म, फैन्स, शाहरुख से फिल्मी टकराव, करीना, फैमिली, अपनी पिछली गलतियों, स्वीकृति और जीवन के प्रति नजरिए पर बातें कीं।
पेरेंट्स के लिए कुछ करने की इच्छा पर यह कहा...
मैं अच्छा बेटा बनना चाहता हूं, मैंने पेरेंट्स को दुख दिया है। केस और दूसरी बातें। वे स्ट्रॉन्ग हैं, लेकिन उनको चिंता है मेरी। मेरे तनाव के कारण वे तेजी से बूढ़े हो रहे हैं। केस का जो भी फैसला हो मैं तैयार हूं। पेरेंट्स के लिए कुछ करना चाहता हूं।
'बजरंगी..' से निर्माता क्यों बने?
पहले तो हम इसलिए फिल्में कर लेते थे कि डेट्स वेस्ट होंगी, मना किया तो निर्माता बुरा मान जाएगा, दोस्त से रिश्ता खराब न हो। अब लगने लगा है कि कहानी मजबूत हो। मैंने कई फिल्में की, जिनकी कहानी दमदार थी। कुछ चलीं, कुछ नहीं। मुझे लगा निर्माता बनना है तो यही फिल्म सबसे सही है। 'जय हो' और 'किक' के बाद अब 'बजरंगी..' भी मानवता के गुण पर केंद्रित है।
इस बदलाव का कारण?
मैं चाहता था थिएटर से बाहर निकलूं तो मुझे हीरो अच्छा लगे। वही फिल्में करना चाहता हूं, जिन्हें देख मैं खुद प्रेरित हो सकूं। तनाव के पल में ही मैं फिल्में देखता हूं। लोग भी यही करते हैं। बोर हो गए, गर्लफ्रेंड को मनाना है, तीन घंटे काटने हैं, पसंदीदा हीरो की फिल्म है, दोस्तों के साथ जाना है, ब्रेकअप हो गया है... हर उम्र और मूड में जाते हैं। किरदारों से प्रभावित होते हैं। थिएटर से निकलने पर कुछ बदलाव आपमें आता ही है। ज्यादातर सकारात्मक। फिल्म अच्छी हों तो आपका विश्वास बढ़ता है। हीरो को देख सोचते हैं कि मेरा पिता,भाई, ब्वॉयफ्रेंड, बेटा ऐसा ही हो।
आप पर किस हीरो का प्रभाव रहा?
मैं इस सवाल का जवाब नहीं देना चाहता। चलो बताता हूं। पहले हर दिन दो फिल्में देखता था, अब महीने में एक फिल्म भी नहीं देख पाता। मैं किरदारों की अच्छाइयों का फैन हुआ। परफॉर्मेंस का मतलब समझने लगा, तब तक हीरो बन चुका था। कई लोगों से मैंने प्रेरणा ली। मिस्टर बच्चन से जिनके लिए मेरे पिता ने एंग्री यंग मैन का किरदार तैयार किया। स्ट्रॉन्ग बॉडी, मासूम चेहरे के धरम जी से। जब एक्टिंग का मतलब समझा तब (दिलीप कुमार अभिनीत) 'गंगा जमुना' देखी।
उस लेवल तक कोई नहीं पहुंच सकता। उनकी टाइमिंग कमाल की थी। यूसुफ साहब ने नेचुरल एक्टिंग शुरू की। उसके पहले लाउड प्रस्तुति होती थी। दत्त साहब (सुनील) से कई चीजें ली हैं। गोविंदा से प्रेरित हूं। बहुत टैलेंटेड हैं।
रितेश देशमुख पसंद हैं, उन्हें क्षमता मुताबिक रोल नहीं मिले। अक्षय ने खुद में बहुत बदलाव किए हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग लाजवाब है।
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