एथेंस (ग्रीस) . अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को 12 हजार करोड़ रुपए न चुका पाने के कारण ग्रीस की दिवालिया घोषित कर दिया गया है। बुधवार सुबह एथेंस में इसकी आधिकारिक घोषणा की गई। यह दुनिया का पहला विकसित देश बन गया है, जिसे दिवालिया घोषित किया गया है। मंगलवार को इसे आईएएमएफ को 12 हजार करोड़ रुपए के रूप में कर्ज की पहली किस्त चुकानी थी। लेकिन, देश के वित्त मंत्री ने कह दिया कि वह किस्त नहीं चुका सकते। आईएमएफ ने डेडलाइन बढ़ाने से भी इनकार कर दिया था। यूरोपियन कमीशन ने ग्रीस को संकट के इस वक्त में मदद का ऑफर भी दिया, जिसे ग्रीस ने ठुकरा दिया। अब जब तक ग्रीस कर्ज नहीं चुका देता, वो आईएमएफ द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले संसाधनों का उपयोग नहीं कर पाएगा।
अब विश्व बाजार की बची-खुची उम्मीद 5 जुलाई पर टिकी है। इस दिन जनमत संग्रह होना है। जनता ने अगर आईएमएफ की शर्तें मानने से इंकार कर दिया तो ग्रीस के हालात बेकाबू हो सकते हैं।
यूरोप के ऑफर को बताया अपमानजनक
ऑफर के तहत ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास को मंगलवार तक इसके लिए लिखित स्वीकृति भेजनी थी। साथ ही, 5 जुलाई को होने वाले जनमत संग्रह में बेलआउट के पक्ष में प्रचार करने पर सहमति देनी थी। ग्रीस के अखबार कैथीमरीनी की रिपोर्ट के मुताबिक, सिप्रास सरकार ने इस प्रस्ताव को अपमानजनक करार दिया है।
डिफॉल्टर होने का खतरा, 5 जुलाई पर नजर
गहराते संकट के बीच दुनियाभर के शेयर बाजारों की नजर 5 जुलाई को होने वाले जनमत संग्रह पर टिकी है। ग्रीस के लोग उस दिन इस बात पर वोटिंग करेंगे कि उनके देश को ये शर्तें माननी चाहिए या नहीं? अगर देश ने आर्थिक सुधारों की मांग को खारिज कर दिया तो 20 जुलाई को यूरो जोन की बैठक में ग्रीस डिफॉल्टर घोषित हो जाएगा और उसे यूरो जोन से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
एंजेला मर्केल पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
ग्रीस में यह चर्चा है कि अगर देश को यूरोजोन छोड़ना पड़ा तो इसके लिए जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल जिम्मेदार होंगी। ग्रीस पर अभी यूरोपियन यूनियन यानी यूरोपियन कमीशन बैंक (यूसीबी) का जितना कर्ज है, उसमें सबसे ज्यादा यानी 58 अरब यूरो की हिस्सेदारी जर्मनी की है। सोमवार को मर्केल ने संकेत दिए थे कि वे Grexit यानी ग्रीस के यूरोजोन से बाहर हो जाने के प्रस्ताव पर राजी हैं। उनका कहना है- ‘यूरोजोन के आर्थिक पैमानों के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। अगर यूरोपियन यूनियन ग्रीस की मदद करता रहा तो लॉन्ग टर्म में ग्रीस की इकोनॉमी पर इसका खराब असर पड़ेगा।’ लिहाजा जर्मनी के कहने पर यूसीबी ग्रीस की बैंक्स को कर्ज देना बंद कर सकता है।
ग्रीस में सारे बैंक 6 जुलाई तक बंद
अपनी हैसियत से अधिक खर्च करने के लिए बदनाम हो चुके ग्रीस में 6 जुलाई तक सारे बैंक बंद कर दिए गए हैं। एटीएम से भी एक दिन में 60 यूरो (करीब 4300 रुपए) से ज्यादा निकालने पर रोक है। यही वजह है कि एटीएम पर भारी भीड़ है। लोग बिना अनुमति देश से बाहर पैसे नहीं भेज सकते हैं। स्टॉक एक्सचेंज बंद हो गया है।
ताजा संकट का ग्रीस पर कितना पड़ा असर?
ग्रीस छोटा देश है। इसकी दुनिया के जीडीपी में हिस्सेदारी सिर्फ 0.5% है। ताजा संकट के कारण ग्रीस अपनी नेशनल इनकम का एक चौथाई हिस्सा खो चुका है। युवाओं की बेरोजगारी दर 50% और देश की कुल औसत बेरोजगारी दर 26% हो चुकी है। वह 76 अरब यूरो का टैक्स वसूल नहीं कर पाया है। 2015 के शुरुआती 6 महीनों के अंदर 8500 स्मॉल और मीडियम बिजनेस बंद हो चुके हैं। 2015 में ग्रीस का जीडीपी 2009 के मुकाबले 25% कम माना जा रहा है।
वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं, बता रहे हैं- भास्कर एक्सपर्ट अर्थशास्त्री बीबी भट्टाचार्य
कितना कर्ज
ग्रीस पर 11.14 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, जो जीडीपी का 175 फीसदी है। भारत का कर्ज जीडीपी के मुकाबले 68 फीसदी है।
शर्तें नहीं मानी तो?
ग्रीस यूरोपियन यूनियन और यूरो जोन से बाहर हो सकता है। तब उसे अपनी पुरानी करेंसी ड्रैकमा लागू करनी पड़ेगी। लेकिन यह आसान नहीं होगा। यूरो-ड्रैकमा की अदला-बदली का अनुपात तय करना मुश्किल होगा।
यह विचारधारा की भी लड़ाई
ग्रीस की नई सरकार वामपंथी है। आईएमएफ और पश्चिमी देश पूंजीवादी विचारधारा के हैं। आईएमएफ की शर्तों के मुताबिक, ग्रीस सरकारी खर्च कुछ कम करने को तैयार है। लेकिन वह टैक्स भी बढ़ाना चाहता है। आईएमएफ को ये मंजूर नहीं।
और क्या संभव है?
व्यापार का बहिष्कार हो सकता है। यह कठोर कदम होगा। ग्रीस का आयात-निर्यात बंद हो जाएगा।
तो क्या 2008 जैसी मंदी?
ग्रीस संकट का असर 2008 के लीमन संकट से कम होगा। हालांकि, छोटी अवधि के लिए असर दिखेगा। बाजार पहले ही ये संकट भांप चुका है, इसलिए लंबी अवधि के लिए असर नहीं पड़ेगा।
भारत पर क्या पड़ सकता है असर?
ग्रीस संकट के कारण भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को गिरावट आई। बीएसई सेंसेक्स 2.17% और निफ्टी 2.2% गिरा। भारत के शेयर बाजार में लिस्टेड कुछ आईटी, फार्मा और ऑटो कंपनियां यूरो में लेनदेन करती हैं। उन्होंने यूरोप की बैंक्स से कर्ज भी लिया है। अगर ग्रीस संकट के कारण यूरोप की बाकी बैंक्स में इंटरेस्ट रेट बढ़ता है तो ये कंपनियां भारतीय बाजार या भारतीय बैंक्स से अपना पैसा निकालेंगी। इस वजह से यहां गिरावट देखी जा सकती है।
संकट खिंचा तो?
ग्रोथ रेट में मामूली गिरावट आ सकती है। ब्याज दरें बढ़ेंगी।
शेयर बाजारों का क्या?
अनिश्चितता में एफआईआई पैसा निकाल कर रख लेते हैं। इसलिए तेज उतार-चढ़ाव दिख सकता है। सोमवार को भी सेंसेक्स 600 अंक गिरा, लेकिन फिर संभल गया।
कर्ज माफ हो, वरना सब भुगतेंगे
ग्रीस का कर्ज माफ हो या 10 साल तक कर्ज वापसी रोक दी जाए। उसे और मदद दी जाए। वरना संकट पूरी दुनिया में फैलेगा। - जोसेफ स्टिगलिज, नोबेल विजेता अर्थशास्त्री
दुनिया के बाजार गिरे
अमेरिकी बाजार | 1.50% |
चीन का शंघाई | 3.53% |
जापान का निक्केई | 2.88% |
हांगकांग का हैंगसेंग | 2.61% |
जर्मनी का डेक्स | 3.56% |
फ्रांस का कैक | 3.74% |
अगर ग्रीस ने अपनी पुरानी करंसी ड्रैकमा अपनाई तो क्या हो सकते हैं नतीजे?
- ड्रैकमा को अगर अपनाया गया तो यूरो, डॉलर जैसी करंसी के मुकाबले ड्रैकमा का मूल्य कम होता रहेगा। करंसी में 40% तक गिरावट आ सकती है। इससे ग्रीस में महंगाई बढ़ेगी।
- नॉन परफॉर्मिंग लोन में इजाफा हो सकता है। सरकारी तनख्वाह और पेंशन स्कीम के लिए पैसे का संकट खड़ा हो सकता है।
- ग्रीस का जीडीपी दो-तिहाई तक घट सकता है।
- ब्याज की वजह से ग्रीस का कुल 322 अरब यूरो का कर्ज और बढ़ता जाएगा। कर्ज अदा करने के लिए फिर कर्ज लेने के विकल्प ग्रीस को तलाशने होंगे।
- ड्रैकमा के कारण ग्रीस के इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट पर भी असर पड़ेगा।
- खतरनाक तरह का इन्वेस्टमेंट ग्रीस में आएगा। इसके तहत दुनिया की बड़ी कंपनियां ग्रीस की कंपनियों का अधिग्रहण करना शुरू करेंगी। वहां प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करेंगी। कई सरकारी इमारतों पर भी इन कंपनियों की नजर रहेगी।
- कूटनीतिक और आर्थिक रूप से ग्रीस पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ जाएगा।
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