मानव संसाधन मंत्रालय इन दिनों तेजी से बढ़ते जा रहे इंटरनेशनल स्कूलों पर नियंत्रण के लिए नई नीति बनाने की तैयारी में है। मंत्रालय का मानना है कि इन स्कूलों पर नियंत्रण के लिए कोई नियामक नहीं है और शिक्षा के अधिकार कानून का भी पालन नहीं हो पा रहा है।
ये स्कूल देश में स्कूल चलाने के लिए लागू न्यूनतम नियमों का भी पालन नहीं करते हैं। सूत्रों के अनुसार वर्तमान में देश में लगभग 600 इंटरनेशनल स्कूल चल रहे हैं।
ये सभी विदेशी बोर्ड्स से संबद्ध हैं। हालांकि इनमें पढऩे वाले ज्यादातर विद्यार्थी विदेशी नागरिकों के बच्चे होते हैं।
भारत के उच्च वर्ग के लोग भी अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजना शान की बात समझते हैं। इस वजह से इन स्कूलों में प्रवेश के लिए मारा-मारी की स्थिति रहती है।
इनमें पढ़ाई भी इस तरह की होती है कि वे आसानी से विदेशी संस्थाओं में प्रवेश पा सकें।
मानव संसाधन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कई स्कूल तो राष्ट्रीय या राज्य सरकार से पंजीकृत भी नहीं हैं। इसके अलावा भारत में 'इंटरनेशनल' किसे माना जाए, इसकी भी कोई परिभाषा नहीं है।
0 comments:
Post a Comment