भारत ने हालांकि जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए सार्थक प्रयास तो किए हैं और इसमें सफलता भी मिल रही है लेकिन तेजी से घटते लिंगानुपात और महिलाओं के प्रजनन संबंधी अधिकारों को लेकर चिन्ताएं अभी बरकरार हैं।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार भारत में लड़कियों की तुलना में हर साल 11 फीसदी लड़के ज्यादा पैदा हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पहले इसका असर सीमित राज्यों तक ही था, पर इसका प्रभाव अन्य राज्यों में भी फैल रहा है।
भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में सार्थक गिरावट आई है। वर्ष 1991-2000 के 21.54 फीसदी की तुलना में यह 2001-2011 में 17.64 फीसदी तक आ गई है।
लिंगानुपात जो वर्ष 2001 में 933 था, 2011 की जनगणना में 940 हो गया है परन्तु भविष्य के जो संकेत हैं वे नकारात्मक हैं। भारत में 0-6 आयु वर्ग में लिंगानुपात 2001 में 927 था जो 2011 में घटकर 914 रह गया है।
उल्लेखनीय यह है कि भारत की 60 फीसदी आबादी ऐसे राज्यों में रहती हैं जहां प्रजनन संबंधी सुविधाएं पहुंच चुकी हैं अथवा पहुंचने वाली हैं।
इसमें दक्षिण भारत के राज्यों के साथ ही पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब जैसे राज्य शामिल हैं। ऐसे में विशेषज्ञों ने इस रुझान को चिन्तनीय बताया है।
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