मणिपुर में स्थानीय लोगों के हितों के संरक्षण और बाहरी लोगों के आवागमन को रोकने की मांग को लेकर जारी प्रदर्शन दिन ब दिन हिंसक होता जा रहा है और इस दौरान लगा कर्फ्यू शुक्रवार को तीसरे दिन भी जारी रहा।
प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए सड़क पर निकलकर वाहनों के टायर जलाए जिससे वाहनों का मार्ग को अवरूद्ध हो गया तथा लोगों को आवाजाही प्रभावित हुई। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में अब तक पांच पुलिसकर्मियों सहित 50 लोग घायल हो गए हैं।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में 16 वर्षीय छात्र ए रोबिनहुड की मौत हो गई थी जिसके बाद यह विरोध प्रदर्शन और भी हिंसक हो गया। पुलिस ने अब तक दस प्रदर्शनकारी और इनर लाइन परमिट व्यवस्था से संबंधित संयुक्त समिति (जेसीआईएलपीएस) के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है।
कर्फ्यू के कारण राज्य में लागू निषेधाज्ञा में पुलिस को लोगों को एकत्र देख गोली चलाने के आदेश दिए गए है। मणिपुर में युद्ध काल जैसे हालात पैदा हो गए हैं और कर्फ्यू के कारण अस्पतालों की आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं।
छात्र रॉबिनहुड की मौत की जांच के लिए बनी संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) ने चेतावनी दी है कि जब तक सरकार इसके संबंध में विधेयक पारित नहीं करेगी तब तक युवक के पार्थिव शरीर को नहीं लिया जाएगा। समिति ने कहा कि आज से इस विरोध प्रदर्शन को जन आंदोलन में बदला जाएगा।
समिति का मानना है कि अगर विधेयक नहीं लाया गया तो त्रिपुरा की तरह मणिपुर में भी बाहर से आ रहे लोगों की संख्या एक दिन इतनी बढ़ जाएगी कि राज्य के मूल निवासियों की जनसंख्या उनके मुकाबले कम हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि नेपाल, म्यंमार और बांग्लादेश से आने वाले अप्रवासी के अलावा देश के दूसरे हिस्सों से यहां आने वाले लोगों के कारण राज्य की जनसांख्यिकी में बदलाव आ रहा है। इस बीच मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने बताया कि मणिपुर आगंतुकों, किरायेदारों और प्रवासी श्रमिकों नियमन विधेयक 2015 को राष्ट्रपति के विचारार्थ रखा गया है। उन्होंने घोषणा की कि सरकार इस मामले में दूसरा विधेयक पेश करने के लिए तैयार है।
मणिपुर बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एमसीपीआरसी)ने आनंदा सिंह उच्चतर मध्यामिक स्कूल के छात्र रॉबिनहुड की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। आयोग ने कहा कि छात्रों पर की गयी गोलीबारी बाल अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान और बाल अधिकार पर हुए संयुक्त् राष्ट्र सम्मेलन में जीने का अधिकार और सम्मानजनक अस्तित्व सुनिश्चित किया गया है।
एमसीपीआरसी के सदस्य कंगजम महाराबी ने कहा कि आयोग ने एक आपात बैठक कर इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है और राज्य के पुलिस अधीक्षक तथा मणिपुर सरकार से इस मामले की विस्तृत जानकारी मांगनेे के साथ उन पुलिसकर्मियों के बारे में जानकारी मांगी हैं, जो इस गोलीबारी में शामिल थे। एमसीपीआरसी ने राष्ट्रीय बाल सुरक्षा अधिकार संरक्षण आयोग को इस गोलीबारी की घटना की जानकारी दे दी है।
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